Supreme court judge selection process in hindi भारत के सर्वोच्च न्यायालय ‘सुप्रीम कोर्ट’ के अंतर्गत बहुत बड़ा अधिकार क्षेत्र आता है. भारतीय संविधान के दूसरे पार्ट के अधिनियम संख्या 32 के अंतर्गत देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ही निभाता है. इसकी स्थापना अक्टूबर सन 1937 में हुई थी. भारतीय संविधान के तहत ये न्यायालय भारत का अंतिम और सर्वोच्च न्यायालय है जो यतो धर्मस्ततो जयः’ की नीति को ख़ुद में समाहित करके चलता है.
सुप्रीम कोर्ट के जज की चयन प्रक्रिया
Supreme court judge selection process in hindi
भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) की नियुक्ति (Appointment of Chief Justice of India)
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अधिनियम संख्या 124 के दुसरे सेक्शन के अंतर्गत होती है. ये पद भारतीय गणतंत्र का सबसे ऊंचा न्यायिक पद है. नीचे भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से सम्बंधित जानकारियाँ दी जा रही हैं.
- सर्वोच्च न्यायालय के भावी चीफ जस्टिस को तात्कालिक समय में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में होना अनिवार्य है. पुराने चीफ जस्टिस के सेवा निवृत और नये चीफ जस्टिस की नियुक्ति के समय भारत के क़ानून मंत्री तथा जस्टिस और कंपनी अफेयर्स का उपस्थित होना आवश्यक है.
- यदि किसी भी तरह से कोई चीफ जस्टिस अपने पद की गरिमा को बनाए रखने में नाकामयाब होता है अथवा उनके विषय में कोई भी संदेह बनता है तो, पैनल के बाक़ी जजों के परामर्श के साथ संविधान के 124 (2) अधिनियम के तहत नए मुख्यान्यायधीश की नियुक्ति की जायेगी.
- चीफ जस्टिस के जज के चयन के बाद जस्टिस अफेयर्स और कानून मंत्री सारा ब्यौरा भारत के तात्कालिक प्रधानमन्त्री के हाथ सौंपते हैं. भारत के प्रधानमंत्री उन ब्योरों के मद्देनज़र देश के राष्ट्रपति को चीफ जस्टिस की नियुक्ति के मामले में अपनी राय देते हैं.
सर्वोच्च न्यायलय के जज (Supreme court justice rules)
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 अन्य न्यायधीश और मौजूद होते हैं. भारतीय संविधान के अंतर्गत जजों की नियुक्ति के मुख्य नियम नीचे दिए जा रहे हैं:
- यदि किसी भी तरह से सर्वोच्च न्यायालय के जज के ऑफिस में कोई पद रिक्त होता है, तो भारत के मुख्य न्यायधीश सबसे पहले इसकी जानकारी भारत के क़ानून मंत्रालय को देतें हैं. सूचना मिलने के उपरांत क़ानून मंत्रालय उस पद की नियुक्ति के लिए नयी अधिसूचना ज़ारी करते हैं.
- किसी भी जज की नियुक्ति के लिए भारत के मुख्य न्यायधीश की राय कॉलेजियम के चार सीनियर जजों की राय से प्रेरित होती है. यदि भारत के सक्सेसर चीफ जस्टिस कोर्ट के चार सीनियर जजों में शुमार नही रहते तो उन्हें कॉलेजियम में रखा जाएगा. जजों की नियुक्ति में मुख्य न्यायधीश का हस्तक्षेप इसलिए भी आवश्यक होता है, क्योंकि नियुक्त जज उनके कार्यकाल में काम करने वाले होते हैं.
- सर्वोच्च न्यायालय के जज के मशविरों की आवश्यकता सिर्फ उन जज तक ही सीमित नहीं रहेगी, जिनके पास हाई कोर्ट उनके ‘पैरेंट हाई कोर्ट’ की तरह हो. इनमे से उन जजों को नहीं हटाया जा सकता जो तबादले के बाद हाई कोर्ट के न्यायधीश अथवा मुख्य न्यायधीश के पद पर आसीन हों.
- मुख्य न्यायधीश द्वारा जज के पद के लिए अंतिम सिफारिश हो जाने पर, ये सिफारिश क़ानून मंत्रालय में जाती है. वहाँ से भारत के क़ानून मंत्रालय और न्याय विभाग मिल कर ये सिफारिश प्रधानमंत्री तक पहुंचाते हैं. प्रधानमंत्री उस सिफ़ारिश में अपनी राय जोड़ कर भारत के राष्ट्रपति को रिपोर्ट पेश करेंगे.
- पद के लिए न्यायधीश की नियुक्ति हो जाने पर ये कथन चुने गये न्यायधीश को न्याय विभाग द्वारा बताया जाता है, और मनोनीत न्यायधीश को अपनी तरफ से अपने शारीरिक अनुकूलता का प्रमाण पत्र न्याय विभाग को सौंपना होगा. ये प्रमाणपत्र किसी सिविल सर्जन अथवा जिला मीडियल अफसर द्वारा अभिपत्रित होना अनिवार्य है. इसके बाद उन सभी लोगों को भी मेडिकल प्रमाणपत्र जमा करने होते हैं, जो किसी भी तरह से जज की नियुक्ति के दौरान मौजूद थे.
- देश के राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायधीश की सिफारिश पर हस्ताक्षर कर देने के बाद भारत सरकार के न्याय विभाग के सचिव द्वारा इस बात का औपचारिक ऐलान किया जाता है और वे भारत के राजपत्र में आवश्यकतानुसार औपचारिक अधिसूचना जारी करते है.
सर्वोच्च न्यायलय में सीनियर जजों का आकलन (Supreme court senior judges assessing)
सर्वोच्च न्यायालय में सीनियर जजों का आकलन उनकी उम्रवास्था से न होकर मुख्यतः उनके सुप्रीम कोर्ट में प्रथम नियुक्ति की तारिख पर निर्भर करता है.
यदि दो जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में एक साथ हुई थी, तो उसे सीनियर माना जाएगा जिसने पहले शपथ ग्रहण की या उसे जिसने किसी उच्च न्यायालय में न्यूनतम एक वर्ष की अधिक अवधि बिताई है. भारत के न्यायधीश अथवा मुख्य न्यायधीश अपने 65 वर्ष पूरे हो जाने पर अपने पद से निवृत्त हो जाते हैं.
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