प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना Pradhan Mantri Krishi Sinchai or Sinchayee (PMKSY) Yojana In Hindi
हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र पर निर्भर है. सालों से भारत देश को कृषि प्रधान देश ही कहा जा रहा है. देश की बढ़ती आबादी के कारण हर साल देश में अनाज की मांग बढ़ती ही रही है. देश की खाद्य पूर्ती और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अच्छी किस्म की खेती बहुत जरुरी है. हमारे देश के प्रधानमंत्री ने किसानों के हित के लिए बहुत सी योजनाओं की शुरुवात की है. अच्छी खेती के लिए पानी की बहुत जरूरत होती है, लेकिन आजकल मानसून का कोई भरोसा नहीं रह गया है. कई बार कई शहर सूखे के चपेट में आ जाते है, जिस वजह से किसानों की पूरी फसल ख़राब हो जाती है. आज भी भारत देश में हर साल कई किसान कर्जे, ख़राब फसल के डर से आत्महत्या कर लेते है. देश की सरकार की यही कोशिश रहती है कि किसानों को उनकी मेहनत और हक पूरा-पूरा मिले.

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना
देश के विकास के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार बेहतर से बेहतर योजना लाते रहते है. पिछले 2 सालों में देश ने एक अविस्मरणीय विकास किया है. अच्छी फसल के लिए किसानों के लिए वर्कशॉप आयोजित की जाती है, जिसमें उन्हें पानी का उपयोग, खाद के बारे में तरह तरह का ज्ञान दिया जाता है. किसानों के हित के लिए एक नयी योजना ‘प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना’ की शुरुवात की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसानों को पानी की उपयोगिता के बारे में जागरूप कर सकें, और उन्हें सिचाईं के नये साधन के बारे में बताया जा सके. नरेंद्र मोदी जीवन परिचय को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.
योजना का नाम | प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना |
बजट | 50 हजार करोड़ |
योजना की शुरुवात | जुलाई 2015 |
योजना की टैग लाइन | मोर क्रॉप पर ड्राप (More crop per drop) |
योजना के बारे में पूरी जानकारी (Krishi Sinchai Yojana information)–
योजना का यही मिशन है कि देश के सभी संसाधन का सही ढंग से उपयोग हो सके, जिससे देश की जनता को लाभ मिले. मोदी जी बाकि योजनाओं की तरह इसका भी उद्देश्य यही है कि देश और देश के लोगों का विकास अधिक से अधिक हो. इस योजना की विशेषताएं इस प्रकार है –
- कृषि सिंचाई योजना का मुख्य लक्ष्य ये है कि सिंचाई विभाग में निवेश को आकर्षित किया जा सके. जिससे कृषि योग्य भूमि का विस्तार हो सके और अच्छी किस्म की फसल प्राप्त हो.
- सरकार यह चाहती है कि इस योजना के द्वारा खेती के लिए जमीन का विस्तार अधिक हो, ये तभी हो सकता है जब सिचाई की सुविधा किसानों के लिए उपलब्ध होगी.
- इस योजना के द्वारा सरकार इस बात का ख्याल रखेगी कि देश के पानी का उपयोग सही ढंग से सही चीज के काम आये और इसके साथ ही पानी की कम से कम बर्बादी हो. वे चाहते है कि किसान प्रोत्साहित हों, और जल का महत्व को जान सकें.
- इस योजना के द्वारा ये भी कोशिश की जा रही है कि किसान सिंचाई के लिए मुंसीपाल्टी के बेकार पानी को पुनः प्रयोग करना सीखें. इससे पानी की बचत भी होगी और फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी भी मिलेगा.
- यह योजना केन्द्रीय सरकार द्वारा अंतर मंत्रालय ‘नेशनल स्टीयरिंग कमिटी’ (NSC) के द्वारा चलाई जा रही है. प्रबंधन की सारी ज़िम्मेदारी इन्ही पर होगी.
- कृषि विभाग में पानी का सही प्रबंधन और उसका सही रख रखाव हो, यही इस योजना का लक्ष्य है.
- इस योजना को राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के अंतर्गत रखा गया है. पहले शुरुवात में इसी योजना में काम शुरू हुआ था.
प्रधान मंत्री कृषि योजना कृषि विभाग में बेहतर से बेहतर सिंचाई सुविधा देनी चाहती है. इस योजना के साथ एक टैग लाइन जुड़ी है, वो है ‘हर खेत में पानी’. जिसका मतलब है देश के हर खेत को पानी की सुविधा दी जाये. इस बात का मुख्य लक्ष्य ये है कि प्रतिदिन अधिक फसल की प्राप्ति हो सके. यह योजना किसानों के लिए कृषि से जुड़े अन्य कार्यक्रम भी चलाएगी, जिससे किसानों को कृषि से जुड़े नए-नए यंत्र, खाद और अन्य जानकारी के बारे में बताया जा सके. भारत देश ने सभी क्षेत्रों में विकास किया है. कृषि विभाग में भी विकास है लेकिन किसानों को इसके बारे में सही जानकारी ही नहीं है. अनाज हर देश की पहली जरुरत होती है, इसके बिना देश के लोगों को खाना नहीं मिलेगा, और खाना न होने से जीवन ही नष्ट हो जायेगा. किसान वर्ग ही है, जो देश के अमीर से अमीर लोगों को अनाज मुहैया कराता है. इतना महत्पूर्ण काम करने के बावजूद अफ़सोस की बात है कि भारत देश का किसान आज गरीब है, और उनकी हालत बत से बत्तर होती जा रही है. इन सभी बातों की एक ही वजह है किसानो को उनका हक नहीं मिल रहा है, उन्हें कई बार अपने हक के बारे में जानकारी ही नहीं होती है.
इस योजना के अंतर्गत किये जाने वाले मुख्य कार्य –
- पानी का प्रबंधन और आवंटन की ओर मुख्य रूप से ध्यान दिया जायेगा. खेती के मुख्य क्षेत्र जैसे जल मंदिर, दोंग, एरी, ऊरानिस, कुहल आदि पानी के भंडार और जलाशय को विकसित किया जायेगा, जिससे सिंचाई को बढ़ावा मिल सके.
- खेती की जमीन के पास ही जल स्त्रोत्र को बनाया जायेगा या उसे बड़ा किया जायेगा.
- किसानों को यह सिखाया जायेगा कि वर्षा के पानी को कैसे एकत्र किया जाता है और कैसे उसे सिंचाई के लिए उपयोग कर सकते है. इससे सिंचाई के लिए अधिक से अधिक जल स्त्रोत किसानों को मिल सकेंगें. इस तरह के और भी अन्य नयी सोच को बढ़ावा किया जायेगा और कृषि से जुड़े लोगों को इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी, जिससे वे अधिक फसल पैदा कर सकेंगें और सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर नहीं रहेंगें.
राज्यों द्वारा PMKSY –
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए केन्द्रीय सरकार ने राज्य सरकार से हाथ मिलाया है. दोनों इसमें साथ में काम करेंगी. राज्य के कृषि विभाग अपने-अपने राज्य के अंदर इस योजना के तहत कार्य करेंगें और इस बात की पूरी जानकारी केन्द्रीय सरकार के पास भी होगी. केन्द्रीय सरकार ने सभी राज्यों के लिए अलग से इस योजना के लिए फण्ड देने की बात कही है. जो राज्य इस फण्ड का उपयोग कर अपने राज्य में सिंचाई सुविधा चाहता है तो उसे सबसे पहले जिला स्तर पर सिंचाई की योजना बनानी होगी. इस सिंचाई योजना को उन्हें केन्द्रीय सरकार को दिखाना होगा. इसके अलावा राज्य को पुरे विस्तार के साथ ये समझाना होगा कि वे इस योजना पर कैसे काम करेंगे और बेहतर कृषि के लिए वे इसमें क्या नया करने वाले है. ये सब कार्यविधि होने के पश्चात् राज्य को इस योजना के अंतर्गत मिलने वाला फण्ड दिया जायेगा.
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना में होने वाला खर्च –
PMKSY त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, नदियों का विकास, गंगा संरक्षण योजना आदि योजनाओं के साथ मिल कर कार्य करेगी. इसके अंतर्गत पहले पांच सालों में 50 हजार करोड़ की राशी खर्च की जाएगी. देश के सभी राज्यों को इस योजना में जितना खर्चा होगा उसका 75% दिया जायेगा, बाकि का 25% का खर्च राज्य सरकार को खुद उठाना होगा. राज्य सरकार को केन्द्रीय सरकार द्वारा दी गई राशी के अलावा अतिरिक्त खर्च करना जरुरी होगा, जिससे विकास कार्य अच्छे से हो सके. देश के ऊंचाई वाले स्थान उत्तरी पूर्व के राज्यों में केन्द्रीय सरकार इस योजना के तहत 90% खर्चा देगी, उस राज्य को सिर्फ 10% का भार उठाना होगा.
कहा जा रहा है कि इस योजना के द्वारा भारत के बहुत से किसानों को फायदा मिलेगा. देश में ऐसे बहुत से किसान है जो खेती करना छोड़ देते है, क्यूंकि उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. लेकिन इस योजना के द्वारा केन्द्रीय एवं राज्य सरकार खेती के नए रास्ते खोलेगी, साथ ही बेहतर सिंचाई की सुविधा मुहैया कराएगी.
अभी हाल ही में मई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक नई योजना कि घोषणा की है जो माइक्रो इरीगेशन को फण्ड प्रदान करेगी. इस योजना को प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना नाम दिया गया है और माइक्रो सिंचाई फण्ड योजना वित्त मंत्रालय द्वारा लागु की जाएगी. इसे पुरे देश में एक साथ लागु किया जायेगा जिसके लिए अनुमानित 5 हजार करोड़ रुपयें की आवश्यकता होगी.
इस योजना का फ्रेमवर्क नाबार्ड द्वारा बनाया जायेगा. साल 2018-19 में इस योजना के लिए लगभग 2 हजार करोड़ रूपए खर्च किया जायेगा और इसके अगले वित्तीय वर्ष में इसके लिए लगभग 3 हजार करोड़ रूपए खर्च किये जायेंगे.
इस योजना के द्वारा प्रति ड्राप अधिक फसल उत्पादन का प्रयत्न किया जायेगा और इसी के साथ भूमि का भी अधिक उपयोग संभव होगा. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा अपने क्षेत्र में माइक्रो इरीगेशन स्कीम को लागु करने के लिए इंसेंटिव और अन्य प्रोत्साहन प्रदान किये जायेंगे. भारत में इस योजना के अंतर्गत 69.5 हेक्टेयर भूमि लाने की क्षमता है. अभी के लिए इस योजना के अंतर्गत केवल 10 हेक्टेयर भूमि को लिया गया है. केंद्र सरकार ने अगले 5 वर्षो में इस योजना के अंतर्गत अधिकतम भूमि लाने का फैसला लिया है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की ऑफिसियल साइट pmksy.gov.in में आपको इसकी आधिकारिक सारी जानकारी मिल जाएगी.
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