नरेन्द्र मोदी पर कविता (Narendra Modi poem in hindi)

0

नरेन्द्र मोदी पर कविता Narendra Modi poem in hindi

यह आर्टिकल हिंदी प्रेमी पाठको के लिए लिखी गई हैं | भारत माता ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर एक आजाद पंछी की तरह आसमा में उड़ान भरी| 1947 में मिली उस आजादी की ख़ुशी को आज का युवा बस शब्दों में सुनता या पढ़ता हैं वो ना आजादी पाने का मोल जानता हैं और ना गुलामी की तकलीफ | जानेगा भी कैसे ? उसके पूर्वजो ने उसे खुला आसमा जो दिया हैं | पर आज एक पल सोचने की जरुरत हैं आजादी का मोल जानने की जरुरत हैं | किसी देश के यूवा में ही उस देश को बनाने और बिगाड़ने की ताकत होती हैं | बस जरुरत हैं दम और उचित मार्गदर्शन की |

modi-jee

नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi )एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास दम और अनुभव हैं पर एक अकेला व्यक्ति कुछ नहीं होता उनकी असली ताकत देश के युवा वर्ग में हैं | लेकिन कुछ सत्ता लोभी युवाओं की ताकत को आपसी लड़ाई में बरबाद कर रहे हैं | वक्त हैं उन्हें पहचानने का और एक सही निर्णय लेने का |

नरेन्द्र मोदी पर कविता (Narendra Modi poem in hindi)

भारत माँ की पुकार

लोह नहीं, अग्नी नहीं, नहीं कोई तलवार,
ये हैं भारत माता के दिल की पुकार |

छोड़ों आपसी रंजीश का दामन.
फैलाओ तिरंगा हर एक आँगन |

अब मिला हैं एक पिता का साया.
बनकर सच्चा बेटा बदलो देश की काया|

फूट डालों का करो विचार.
अब तो समझों विदेशी चाल|

अब नहीं कोई फिरंगी का फैरा,
अब तो घर में ही बैठा हैं लूटेरा|

अब नहीं कोई हिन्दू-मुस्लिम के झमेले,
ये तो बस हैं सियासी हमले |

छोड़ों आपसी रंजीश यारों,
पिता हैं साथ बस देश सवारों ||

होम पेजयहाँ क्लिक करें

अन्य पढ़े:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here