जी एस टी बिल क्या है (GST bill kya hain in Hindi)

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जी एस टी  (वास्तु एवं सेवा कर )बिल क्या है  (GST Bill in Hindi)  GST (gst.gov.in) registration process In Hindi- Goods And Service Tax Bill In Hindi  (GST Kya hai)

GST ka full form Goods and Services tax hai yeh 3 अगस्त, 2016 को हमारे देश भारत में जी एस टी बिल पारित किया गया हैं. जीएसटी ‘गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स’ है, जिसका मतलब ‘वस्तु एवं सेवा कर’ होता है. सरकार ने इसे 1 जुलाई  2017 से विशेष क्षेत्रों मे लागू करने का निर्णय लिया है. सरकार के अनुसार इससे टैक्स देने वालों को काफ़ी सुविधा मिलेगी. हालाँकि इस वक़्त टैक्स भरने वालों के लिए ये फैसला जल्दबाजी के साथ सामने आया है. इसके बारे में यहाँ जानकारी दी जा रही है.

जी एस टी बिल एक कर संबंधी बिल [Tax related Bill] हैं, जो देशवासियों पर कर लगाएगा तो आखिर इस बिल में ऐसा क्या हैं, जिसके पास होने पर देशवासी इसकी खुशियाँ मना रहें हैं ?

सरल शब्दों में कहा जाये तो अब लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक नया टैक्स लगेगा और वह होगा –GST. साथ ही पहले जो भी टैक्स लगते थे, वे अब नहीं लगेंगे. अब प्रश्न यह उठता हैं कि जब टैक्स दोनों ही स्थितियों में देना हैं तो आखिर इसमें नया क्या हैं और इससे देश की जनता को क्या फायदा होगा ? फायदा जरुर होगा क्योंकि GST Bill पास होने से अब पूरे देश में एक ही रेट से टैक्स लगेगा और चूँकि यह सम्पूर्ण देश पर लगेगा तो इसके अलावा कोई और टैक्स भी नहीं देना होगा.

GST Bill 2015 In Hindi Goods And Service Tax

जी एस टी बिल क्या है (What is GST)

जी एस टी [अमेंडमेंट] बिल, जिसे राजकीय तौर पर [Officially] The Constitution [122nd Amendment] GST Bill, 2014 के नाम से जाना जाता हैं. देश के कर संबंधी ढांचे में स्वतंत्रता के बाद यह सबसे बड़ा सुधार हैं, जिसका फायदा आम आदमी को होगा. यह बिल राज्य सभा द्वारा 3 अगस्त, 2016 को पारित किया गया, जिसे लोक सभा द्वारा मई, 2015 में पारित किया जा चुका था. राज्यसभा के चुनाव  के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें|

क्षेत्रीय विस्तार [Territorial extent]भारत
कानून बनाया गया [Enacted by]लोक सभा और राज्य सभा दोनों द्वारा पारित होने पर
राज्य सभा में बिल पारित होने की तिथि [Date of passing in Rajya Sabha]3 अगस्त, 2016
लोक सभा में बिल पारित होने की तिथि [Date of passing in Lok Sabha]मई, 2015
बिल लाने का विचार [Introduce by]वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा

वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अंतर्गत जून, 2016 से नेशनल वैल्यू एडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया हैं.

जी एस टी बिल एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर हैं, जो व्यापक पैमाने पर पूरे देश के निर्माता, व्यापारी और वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ताओं पर लगेगा. यह टैक्स अन्य टैक्सो को हटा देगा, जो कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाये गये हैं. वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी – बिक्री के प्रत्येक चरण पर लगने वाले इस टैक्स में ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट मेथड’ लगेगी. इस मेथड के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) के अधीन पंजीकृत व्यवसायों को टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की सुविधा मिलेगी, जिन्होंने अपनी सामान्य व्यवसायिक गतिविधियों के दौरान यह टैक्स का भुगतान किया था. कर योग्य वस्तुओं और सेवाओं को एक – दुसरे से अलग परिभाषित नहीं किया गया हैं और इसके साथ ही कर की दर भी एक समान ही रखी गयी हैं, जो पूरी सप्लाई चैन पर लगेगी, जिसके द्वारा वह वस्तु या सेवा अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचेगी. वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर ही कर लगाने के लिए एक ही अथॉरिटी जिम्मेदार होगी. निर्यात [एक्सपोर्ट] पर शून्य दर [Zero rated] के साथ आयात पर घरेलु करों [Domestic Tax] के ही सामान टैक्स लगाया जाएगा.

वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) भारत में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बदलाव का एक बहुत बड़ा कदम हैं. विभिन्न केन्द्रीय करों और राज्य करों को मिलाना या समाप्त करना और इनके स्थान पर एक नये कर लगाने से दोहरे करारोपण [Double Taxation] और केस्केडिंग इफ़ेक्ट [Cascading effect] ख़त्म होगा और इसका फायदा राष्ट्रीय बाज़ार को मिलेगा. अगर एक आम आदमी के दृष्टिकोण से देखा जाये, तो उसके द्वारा चुकाए जाने वाले सभी करों की मात्रा में कमी आ जाएगी, जिनका भार वह आज लगभग 25% – 30% तक वहन करता हैं.

भारत में जी एस टी बिल के लागु होने पर यह कुछ समय के लिए शून्य दर के साथ अथवा बहुत ही कम दर के साथ लगाया जाएगा. शुरूआती चरणों में राज्यों की आय को GST के प्रभाव से दूर ही रखा जाएगा, परन्तु पेट्रोलियम और पेट्रोलियम पदार्थों पर GST Bill की दरें ही लगायी जाएंगी. मंत्री श्री जयंत सिन्हा के अनुसार : इस स्थिति में राज्यों को उनकी आय के संबंध में 5 सालों तक [या 5 सालों से कम समय तक] जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई केंद्र के द्वारा राज्यों को की  जाएगी.

संसदीय इतिहास और एम्पावर्ड कमिटी [History in Parliament & Empowered Committee]-:

  • केन्द्रीय बजट 2006 – 2007 के दौरान 28 फरवरी, 2006 को केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा घोषणा की गयी कि GST Bill 1 अप्रैल, 2010 को रखा जाएगा और इसके निर्माण में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करेगी.
  • इस घोषणा के बाद राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी ने 10 मई, 2007 को इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का निश्चय किया.
  • इस जॉइंट वर्किंग ग्रुप के संगठन के बाद विभिन्न वित्त विशेषज्ञों, आदि से चर्चाओं और बातचीत के बाद 19 नवम्बर, 2007 को अपनी रिपोर्ट एम्पावर्ड कमिटी के सामने प्रस्तुत की.
  • 27 नवम्बर, 2007 को एम्पावर्ड कमिटी के समक्ष रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा और इसके अनुरूप कुछ बदलावों के साथ फाइनल रिपोर्ट तैयार.
  • 30 अप्रैल, 2008 को यह फाइनल रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गयी.
  • 12 दिसम्बर, 2008 को भारत सरकार द्वारा इस पर अपने कमेंट दिए गये.
  • 16 दिसम्बर, 2008 को एम्पावर्ड कमिटी ने इन कमेंट्स को स्वीकार किया गया.

वैधानिक इतिहास [Legislative History]-:

सन 2000 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राज्य वित्त मंत्रियों की एम्पावर्ड कमिटी बनायीं गयी. अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन के बारे में यहाँ पढ़ें| इसे बनाने का उद्देश्य वर्तमान टैक्सो को हटाकर नये वस्तु एवं सेवा कर (GST Bill) को लाने के लिए मॉडल बनाना था. यह एम्पावर्ड कमिटी पश्चिम बंगाल के वित्त और एक्साइज मंत्री असीम दासगुप्ता के प्रतिनिधित्व में काम कर रही थी.

जी एस टी बिल में शामिल मुख्य बातें [Salient features of Goods & Service Tax Bill]-:

  • इस बिल के अंतर्गत GST Bill के दो भाग होंगे, जिनके नाम और संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार हैं -:
  1. केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला -: केन्द्रीय जी एस टी,
  2. राज्य द्वारा लगाया जाने वाला  -: प्रांतीय जी एस टी.

दोनों GSTs की कर की दरें क्या होंगी, इसे निर्धारित किया जाएगा, जो कि इनकी आय [Revenue] और स्वीकार्यता [Acceptability] को ध्यान में रखकर तय की जाएगी. यह दोहरा  मॉडल [Dual GST Model] विभिन्न प्रान्तों में लागु किया जाएगा.

साथ ही कर लगाने के नियम [Tax Provosions], कर योग्य आय [Taxable Income], कर योग्य व्यक्ति [Assessee] और कर की परिभाषाएं [Defination of Tax] सभी प्रान्तों में एक समान ही होगी.

  • केन्द्रीय GST और प्रांतीय GST सभी सेवाओं और वस्तुओं पर लगाया जाएगा. परन्तु इसके अंतर्गत केवल वे वस्तुएं और सेवाएँ शामिल नही होगी, जिन्हें GST Bill के क्षेत्र से बाहर रखा गया हैं अथवा जो GST Bill में करमुक्त [Exempt] की श्रेणी में आती हैं अथवा यदि व्यवहार [Transaction] निर्धारित सीमा [Threshold Limit] से कम मूल्य का हो तो, वो भी जी एस टी बिल में शामिल नहीं होगा.
  • केन्द्रीय GST और प्रांतीय GST का भुगतान केंद्र और राज्य के खातों [Accounts] में अलग – अलग होगा. यहाँ ये तय किया जाना जरुरी हैं कि इन खातों को संभालने वाले प्रमुख [Heads] को इसकी जानकारी हो कि कौनसी आय, किस खाते में जाएगी.
  • चूँकि दोनों ही करों का भुगतान पृथक रूप से होगा तो केन्द्रीय जी एस टी बिल के रूप में भरे गये टैक्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में उपयोग तो किया जा सकता हैं, परन्तु इसका उपयोग केवल केन्द्रीय GST के भुगतान में ही किया जा सकेगा.
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट का केन्द्रीय और प्रांतीय GST के आपसी भुगतान में इसका उपयोग संभव नहीं हैं. परन्तु IGST मॉडल के अंतर्गत अंतरप्रांतीय [Inter – state transaction] व्यव्हार हो तो ऐसा किया जाना संभव हैं.
  • केंद्र और प्रान्त द्वारा इकट्ठे हुए क्रेडिट के पुनर्भुगतान [Refund] को अवोइड [Avoid] ही किया जाएगा, परन्तु यदि व्यवहार ऐसा हो जो निर्यात [एक्सपोर्ट] संबंधी हो, कैपिटल गुड्स की खरीदी संबंधी हो, इनपुट टैक्स रेट, आउटपुट टैक्स रेट से ज्यादा हो, आदि स्थितियों में पुनर्भुगतान कर दिया जाएगा, जो कि निर्धारित समय सीमा में ही पूर्ण किया जाना आवश्यक हैं.
  • केन्द्रीय और प्रांतीय GST को लगाने का तरीका और प्रक्रिया को समान ही रखा जाएगा और इस प्रक्रिया का विवरण केन्द्रीय और प्रांतीय GST के अंतर्गत किया जाएगा.
  • चूँकि VAT हर राज्य में अलग- अलग दर से लगता हैं, अतः इसे ख़त्म कर दिया जाएगा और सभी राज्यों में कर की सामान दरें लगायी जाएगी. यदि इससे राज्यों की आय में नुकसान होता हैं तो इसकी भरपाई केंद्र द्वारा की जाएगी. साथ ही दोहरे कराधान [Double Taxation] और छोटे व्यापारियों और उद्योगों के लिए एक थ्रेसहोल्ड लिमिट बनाई गयी हैं, जिसमें सेवा और वस्तु दोनों ही के लिए राशि निर्धारित की गयी हैं.
  • जी एस टी बिल के अंतर्गत कम्पौन्डिंग [compounding] के लिए ग्रॉस एनुअल टर्नओवर के संबंध में इसकी उच्चतम सीमा [Upper Ceiling] और फ्लोर टैक्स रेट को ध्यान में रखा जाएगा. ग्रॉस एनुअल टर्नओवर के 50 लाख रूपये पर और 0.5% फ्लोर टैक्स रेट पर कट ऑफ प्रदान किया जाएगा. इस स्कीम के अंतर्गत कम्पौन्डिंग [compounding] कट ऑफ़ से कम के टर्नओवर वाले डीलर्स को GST में पंजीकृत होने की सुविधा दी गयी हैं.
  • केन्द्रीय GST और प्रांतीय GST के अंतर्गत आने वाले सभी करदाताओं को सामयिक [Periodical] रिटर्न भरने होंगे, इन रिटर्न्स का फोर्मेट एक समान ही होगा.
  • प्रत्येक कर दाता को PAN लिंक्ड टैक्सपेयर आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जएगा, जो 13/15 डिजिट का होगा. यह आयकर [Income tax] के अनुसार इससे भी जुड़ा होगा, जिससे दोनों विभागों के बीच जानकारी का आदान – प्रदान और नियमों का पालन [Compliance] हो सकें.
  • करदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कर निर्धारण [Tax Assessment], स्क्रूटिनी और ऑडिट आदि उसी अथॉरिटी के पास होंगे, जो टैक्स कलेक्ट करती हैं.

जी एस टी बिल के अंतर्गत टैक्स दरें  [Tax rates under GST Bill]-:

GST Billके अंतर्गत टैक्स की दरें कम होगी, परन्तु करदाताओं कि संख्या लगभग 5 से 6 गुना तक बढ़ जाएगी, अतः इससे केंद्र और राज्य की आयों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. टैक्स का दायरा बढने के कारण सरकार को आय संबंधी लाभ प्राप्त होंगे. कर की दरें सभी जगह एक समान होगी, जो अभी तय की जाना हैं.

जी एस टी बिल से होने वाले प्रमुख फायदें  [Benefits Of GST Bill In Hindi Goods And Service Tax ]-:

  • GST लागु होने से टैक्स चोरी [Tax Evasion] में कमी आएगी.
  • GST से कम विकसित [Under develope] राज्यों को अधिक आय प्राप्त होगी.
  • GST से छोटे व्यवसायों को भी सपोर्ट मिलेगा और क्षेत्रीय पक्षपात [Location Bias] भी ख़त्म होंगे.

GST की कार्य प्रणाली [How will GST work ?] -:

GST किस प्रकार काम करेगा, इसे निम्न उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता हैं -:

व्यवहार [Transaction]वर्तमान प्रणाली [Current System]GSTप्रणाली

[GST System]

कच्चे माल की लागत[Cost of Raw Material]100100
टैक्स*1010
निर्माता द्वारा जोड़ी गयी कीमत

[Value added by Manufacturer]

2020
निर्माता द्वारा चुकाया गया टैक्स*

[Tax payable by Manufacturer]

2

[CENVET : 20 *10%]

2

[GST: 20 *10%]

रिटेलर की कुल लागत

[Retailer’s Cost]

132132
रिटेलर का मार्जिन

[Retailer’s margin]

2020
कुललागत152152
सेल्सटैक्स[Sales Tax]*15.2

[Sale’s Tax : 152*10%]

2

[GST: 20 *10%]

उपभोक्ता के लिए कीमत

[Final price paid inclusive of all taxes]

167.2154
कुल टैक्स [Total Tax]*27.214

यहाँ टैक्स में अंतर केवल इसीलिए आया हैं क्योंकि जी एस टी बिल में केवल उसी बढ़त पर टैक्स लगता हैं, जो वह निर्माता स्वयं या व्यापारी स्वयं लगाता हैं, ना कि पहले की गयी बढ़त पर भी टैक्स देना होता हैं.

वहीँ करंट प्रणाली में टैक्स इसीलिए ज्यादा हैं, क्योंकि उसमे अंतिम उपभोक्ता को उस मूल्य पर भी टैक्स देना पड़ता हैं, जिस पर निर्माता और व्यापारी टैक्स दे चुके हैं. इस प्रभाव टैक्स के दोहरी गणना [Double Taxation] के कारण ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता हैं. अतः जी एस टी बिल देश की जनता के फायदे में हैं.

जीएसटी के लिए पंजीकृत होने के मार्ग (GST registration)

अभी सारे टैक्स दाताओं को इस महीने के अन्दर अपना नामांकन जीएसटी डेटाबेस के अंतर्गत कराना होगा. अतः सभी करदाताओं को इसमें अपना नामांकन कराना होगा. एक कर दाता निम्न में से कहीं से भी पंजीकृत हो सकता है :

  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क
  • सेवा टैक्स
  • राज्य सेल्स टैक्स अथवा वैट
  • प्रवेश टैक्स
  • लक्ज़री टैक्स
  • मनोरंजन टैक्स

जीएसटी के लिए नामांकन कैसे कराएं (GST registration process)

नीचे सभी आवश्यक क़दमो की चर्चा की जा रही है, जिसकी सहायता से जीएसटी के अन्तर्गत अपना नामांकन कराया जा सकता है.

  • ये एक ऑनलाइन कार्यविधि है, अतः किसी तरह के दस्तावेज़ के हार्ड कॉपी की ज़रुरत नहीं पड़ेगी. सरकार द्वारा बनाए गये इसके औपचारिक वेबपोर्टल पर सारे काम किये जायेंगे. इसका औपचारिक वेबपोर्टल https://www.gst.gov.in/ है. इस वेबपोर्टल पर जाकर सबसे पहले अपना यूजर आईडी बनाना पड़ता है, जिसकी सहायता से कर दाता वेब साईट में प्रवेश कर पाते हैं.
  • यूजर आईडी बनाने के लिए कर दाता को अपना प्रोविसिनल आईडी और पासवर्ड चुनना होता है. ये प्रोविसिनल आईडी सरकार की तरफ से कर संस्थानों के द्वारा दी जाती है. अतः अपने वार्ड अफसर से मिलकर इस मामले में बात करने की बहुत आवश्यकता होती है.
  • इसके लिए कुछ अतिआवश्यक दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है, जिसका वर्णन नीचे किया जा रहा है.
  • वार्ड अफसर से प्राप्त प्रोविजनल आईडी और पासवर्ड.
  • कर दाता का ख़ुद का ईमेल आईडी
  • वैद्य मोबाइल संख्या
  • बैंक अकाउंट संख्या
  • आईएफ़सीएस कोड
  • व्यापार का संवैधानिक प्रमाण .
  • पार्टनरशिप व्यापार होने पर पार्टनरशिप डीड का अधिकतम 1 एमबी साइज़ का पीडीऍफ़ और जेपीईजी इमेज
  • प्रमोटर अथवा पार्टनरों का अधिकतम 100 केबी का जेपीईजी इमेजेज.
  • बैंक के पासबुक का पहला पन्ना जिसमे अकाउंट नंबर, शाखा का पता, खाताधारक का नाम और पता, कुछ लेनदेन सम्बन्धी डिटेल आदि पीडीऍफ़ अथवा जेपीईजी इमेज फॉर्मेट में. (अधिकतम साइज़ 1 एमबी)
  • ये सभी डिटेल जमा देने के बाद आवेदक को एक ‘एकनॉलेजमेंट संख्या’ प्राप्त होती है. ग्राहक को इसे आगे की औपचारिकताओं के लिए संभाल कर रखना होता है.

जीएसटी की प्राथमिकता (GST super priority)

भारत के तात्कालिक वितमंत्री अरुण जेटली जी का जीवन परिचय के अनुसार जीएसटी एक बहुत ही बड़ा क़दम है जो कर दाताओं को बहुत ही गहरा लाभ पहुँचाने वाला है. सरकार के अनुसार इसके प्रायोग से टैक्स के दरों में कमी आएगी जो टैक्स दाताओं के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है. राज्याधीन बैंकों के लिए कहते हुए वितमंत्री ने कहा कि अभी भारत इस बैंकों के निजीकरण की हालत में नहीं है, फिर भी बैंको से इस मामले में बात की जा रही है. जीएसटी शुरू होने से राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पास जाने वाले विभिन्न कर एक साथ जुड़ कर एक टैक्स का रूप ले लेंगे. इससे टैक्स दाताओं को टैक्स देने में सुविधा होगी और अधिक से अधिक लोग टैक्स दे पायेंगे. 

वस्तुओं पर लगने वाला जीएसटी

नीचे विभिन्न वस्तुओं की सूची दी जा रही है, जिनमे जीएसटी 0%, 5%, 12%, 18%, 28% की दर लग रहा है –

क्र..0%5%12%18%28%
1.ताजा मांसमछली का मांसफ्रोज़न मांस उत्पादस्वादिष्ट रिफाइंड चीनीच्युइंग गम
2.मछलीमलाईमक्खनपास्तागुड़
3.मुर्गामलाई रहित दूध पाउडरपनीरकॉर्नफ्लेक्सचॉकलेट
4.अंडेब्रांडेड पनीरघीपेस्ट्रीवाफ्फ्लेस
5.दूधजमी हुई सब्जियांमेवेकेकवेफर्स
6.छाछकॉफ़ीपशु चर्बीसंरक्षित सब्जियांपैन मसाला
7.दहीचायसॉसजैमसोडा वाटर
8.प्राकृतिक शहदमसालेफलों के रससॉसपेंट
9.ताजे फलपिज़्ज़ा ब्रेडभूटियासूपडिओडोरेंट
10.सब्जियांसूखी रोटीनमकीनआइसक्रीमशेविंग क्रीम
11.आटासाबूदानाआयुर्वेदिक दवाएंतत्काल भोजन मिक्सआफ्टर सेव
12.बेसनमिट्टी तेलदन्त पाउडरशुद्ध पानीशैम्पू
13.ब्रेडकोयलाअगरबत्तीटिश्यूडाई
14.प्रसाददवाईरंगीन किताबेंलिफाफेसनस्क्रीन
15.नमकस्टेंटचित्र पुस्तकेंटैम्पन (रुई का फाहा)वॉलपेपर
16.बिंदीजीवन रक्षकछतरीनोट बुक्ससिरेमिक टाइल्स
17.सिन्दूरसिलाई मशीनइस्पात उत्पादवाटर हीटर
18.स्टैम्प्ससेल फोनमुद्रित सर्किटबर्तन साफ़ करने वाला साबुन
19.न्यायिक पत्रकैमरावजन तौलने की मशीन
20.मुद्रित किताबेंस्पीकरवाशिंग मशीन
21.समाचार पत्रमॉनिटरएटीएम
22.चूड़ियाँवेंडिंग मशीन
23.हैंडलूमवैक्यूम क्लीनर
24.शेवर
25.बालों की क्लिप्स
26.ऑटोमोबाइल
27.मोटरसाइकिल्स
28.हवाई जहाज
29.नौकाओ

GST main kya hoga sasta aur kya hoga mehga | GST में क्या मेहगा क्या सस्ता

जीएसटी आने के बाद जीएसटी आने के पहले

बुनियादी खाद्य पदार्थ

(बुनियादी खाद्य पदार्थ 0% कर को आकर्षित करेंगे और किराने का बिल घटाएंगे)

अनाज, चावल, गेंहू, दाल और दूध0%0%
कॉफ़ी, चाय, चीनी,  खाद्य तेल5%5%
बिस्कुट, कॉर्न फलैक्स, आइसक्रीम18%32%
चॉकलेट्स28%33%

बिना खाने वाले सामान

(आयुर्वेद और फुटवेयर को छोड़कर >500 रूपये अधिकांश वस्तुओं की लागत कम हो जाएगी)

बालों वाला तेल, साबुन, टूथपेस्ट18%24%
शैम्पू, चेहरेमें लगाने वाली क्रीम28%39%
सिल्क और जूट0%5%
रुई5%5%
मैनमेड फाइबर18%8%
आयुर्वेद12%9%
फूटवेयर < 500 रूपये5%14%
फूटवेयर > 500 रूपये18%14%

टिकाऊ सामान

(टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन और स्मार्टफोन की लागत कम हो जाएगी और सोने की लागत कम हो जाएगी)

टीवी, एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, फर्नीचर28%33%
सोना3%2%
स्मार्टफोन12%17%
सीमेंट28%31%

मूल सेवाएं

(फिल्म टिकिट, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा आदि सेवाओं के अलावा लगभग सभी सेवाon की लागत अधिक हो जाएगी)

बीमा प्रीमियम18%15%
बैंकिंग शुल्क18%15%
टेलीफोन, मोबाइल18%15%
फिल्म टिकिट28%40%
कैब सवारी – ओला, युबर5%6%
रखरखाव शुल्क  (> 5000 रूपये)18%16%
बिना एसी रेल्वे0%0%
एसी रेल्वे5%5%
हवाई यात्रा अर्थव्यवस्था वर्ग5%6%
हवाई यात्रा व्यापार वर्ग12%9%
स्वास्थ्य देखरेख0%5%
शिक्षा0%0%

होटल और रेस्तौरेंट

(उच्च व्यय पर उच्च कर मुख्य कांसेप्ट है)

होटल बुकिंग  (< 1000 रूपये)0%15%
होटल बुकिंग  (1000 रूपये – 2500 रूपये)12%15%
होटल बुकिंग  (2500 रूपये – 5000 रूपये)18%15%
लक्ज़री होटल28%15%
रेस्तौरेंट्स (50 लाख रूपये से कं का करोबार)5%15%
बिना एसी रेस्तौरेंट्स12%15%
एसी के साथ शराब लाइसेंस18%20%
5 स्टार होटल28%15%

कार

(डीजल और मिडसाइज्ड कारों और उच्च कर. एसयूवी  और लक्ज़री कारों की लागत कम

छोटी कार डीजल31%28%
छोटी कार पेट्रोल29%26%
मिडसाइज्ड43%41%
लक्ज़री कार43%45%
एसयूवी43%48%
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